संस्कृत की विदुषियॉं ही समाज को संस्कारवान बना सकती हैं : संतोष यादव

नई दिल्ली, 18 नवंबर। देश विदेश की संस्कृत विदुषियों के त्रि- दिवसीय “ अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत विदुषी सम्मेलन ’’ का समापन दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज के भव्य सभागार में सम्पन्न हो गया । इस विदुषी सम्मेलन के समापन समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. गायत्री मुरली कृष्णा , विशिष्ठ अतिथि विख्यात पर्वतारोहिणी पद्मश्री संतोष यादव और मुख्य वक्ता संस्कृत भारती के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष दिनेश कामथ थे। समापन समारोह की अध्यक्षता सत्यवती कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. अंजू सेठ ने की।

तीन दिन तक चले इस अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत विदुषी सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर संस्कृत की विदुषियों व शोध छात्र-छात्राओं ने कुल 300 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए।संस्कृत की ये विदुषियॉं आंध्रप्रदेश, असम,दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, केरल और मध्यप्रदेश से भाग लेने आई थीं।” वेव्स ‘’ की प्रो. शशि तिवारी और केंद्रीय संस्कृत यूनिवर्सिटी के डॉ.गणेश पंडित ने भी सम्मलेन को संबोधित किया।

विदेश के 15 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन माध्यम से सम्मेलन में अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए और डा. अपर्णा धीर ने इसका संयोजन किया।अमेरिका के” इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी” के संस्कृत विभाग ने विशेष सहयोग दिया।

समारोह की विशिष्ठ अतिथि विख्यात पर्वतारोहिणी पद्मश्री संतोष यादव ने संस्कृत की विदुषियों से कहा, “ संस्कृत की विदुषियॉं ही समाज को संस्कारवान बना सकती हैं।जन्म से पूर्व ही बच्चों को आत्म ज्ञान की शिक्षा शुरू की जा सकती है।तभी वह अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त कर सकता हैऔर समाज को उचित दिशा प्रदान कर सकता है।

मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ,जनकपुरी के कुलसचिव प्रोफेसर प्रो. गायत्री मुरली कृष्णा ने अपने समापन भाषण में कहा , “ वेदों से लेकर आज तक समाज और राष्ट्र की उन्नति में संस्कृत विदुषियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत विदुषी सम्मेलन “ संगमनी” विकसित भारत@2047 की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास है। हमारा विश्वविद्यालय संस्कृत विदुषियों के इस विशिष्ट प्रयास में सदैव सहयोगी रहा है और सदा रहेगा।संस्कृत की विदुषियों के सम्मान से यह मंच गौरवान्वित हुआ है।

सम्मेलन की निदेशिका प्रो.कमला भारद्वाज ने कहा,” यह विदुषी सम्मेलन 25 वर्षों के प्रयास से आज युवावस्था में पहुंच गया है। डॉ. मंडन मिश्र, तत्कालीन शिक्षा मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी व भा.ज.पा नेता विश्वम्भर दत्त शर्मा के प्रयासों से बोया गया बीज आज वृक्ष का रूप धारण कर चुका है और भविष्य में सभी संस्कृत अनुरागियों को फल प्रदान करेगा।”

मुख्य वक्ता संस्कृत भारती के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष दिनेश कामथ ने कहा, “ संस्कृत की विदुषियॉं ही विकसित भारत का आधार हैं क्योंकि संस्कृत से ही भारत की उन्नति संभव है।

संस्कृत तो जन जीवन की जीवंत भाषा है।प्राचीन काल में तो ये आम सामान्य जन की बोलचाल की भी भाषा थी।”उन्होंने कहा,” आज से 25 वर्ष पूर्व संस्कृत व संस्कृति के संरक्षक श्रद्धेय डॉ. मंडन मिश्र ने संस्कृत की विदुषियों के लिए यह मंच प्रदान कर संस्कृत की विदुषियों को अपने रिसर्च के काम को समाज के सामने पेश करने का अवसर प्रदान किया। मुझे खुशी है कि आज इन विदुषियों ने स्वर्गीय डॉ.मंडन मिश्र ने सपने को साकार कर के दिखा दिया है।

        संस्कृत विदुषी सम्मेलन की निदेशिका प्रो. कमला भारद्वाज और संस्कृत भारती के दिनेश कामथ ने विशिष्ठ अतिथि  विख्यात पर्वतारोहिणी पद्मश्री संतोष यादव , कवि कुलगुरु कालिदास यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी,  सी. एस्. यू के कुलसचिव प्रो. गायत्री मुरली कृष्णा व संस्कृत भारती के दिल्ली प्रान्त के अध्यक्ष डॉ. वागीश भट्ट को शाल, मां सरस्वती की मूर्ति , पौधा और सत्यवती कॉलेज का मोमेंटो दे कर सम्मानित किया  । 

            प्रो. कमला भारद्वाज व प्रो.अंजू सेठ ने सम्मेलन के आयोजन में  समन्वयक की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली डॉ. अमृत कौर, डॉ.सुनीता,प्रो.अजय कुमार झा, डॉ. नीलम गौड़, डॉ. मीनाक्षी मिश्र ,डॉ इंदु सोनी , डॉ. रीना और डॉ. कामना   विमल को शाल , दुपट्टा व  सत्यवती कॉलेज का मोमेंटो देकर सम्मानित किया।

           सम्मेलन की निदेशिका  प्रो. कमला भारद्वाज व अध्यक्षा प्रो. अंजू सेठ  ने   सार्वजनिक जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली  दस महिलाओं को  विदुषी सम्मेलन की ओर से   सम्मानित किया  ।सम्मानित महिलाओं में   संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्षा  डॉ. संध्या पुरेचा, पद्मश्री गीता चन्द्रन,राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता  प्रो. लक्ष्मी शर्मा, विख्यात पर्वतारोही पद्मश्री  संतोष यादव, पद्मश्री सुश्री सुकामा, संस्कृत की वरिष्ठ विदुषी श्रीमती भगवती सुदेश और प्रो.सत्यम कुमारी, आकाशवाणी की पूर्व प्रोग्राम डायरेक्टर श्रीमती रितु राजपूत, कालिदास संगीत एन्ड फाइन आर्ट्स अकादमी की  प्रो. आभा कुलश्रेष्ठ और नॉन कोलेजिएट वीमेंस बोर्ड की डायरेक्टर  डॉ. गीता भट्ट शामिल थीं।सभी महिलाओं   को उद्घाटन समारोह में शाल,सम्मान पत्र,नटराज की मूर्ति और सत्यवती कॉलेज का प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया था । 

        सम्मेलन में शाम के समय विभिन्न कॉलेज के छात्र- छात्राओं ने  नृत्य, नाटक और गीत संगीत का रंगा रंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया। जिस की अध्यक्षता मिरांडा हाउस की प्रिंसिपल प्रो.विजय लक्ष्मी नंदा ने की।

             कार्यक्रम का संयोजन डॉ. नीलम गौड़, डॉ. मीनाक्षी मिश्र ,डॉ इंदु सोनी,डॉ.रीना और डॉ. कामना  विमल ने किया।केंद्रीय संस्कृत यूनिवर्सिटी की डॉ. सुनीता ने सम्मेलन में आए सभी अतिथियों का हार्दिक आभार और धन्यवाद किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *