डा. कपिलदेव द्विवेदी की पुस्तक वैदिक साहित्य एवं संस्कृति वेदों और भारतीय संस्कृति को समझने का एक उत्कृष्ट माध्यम है। यह ग्रंथ विशेष रूप से उन पाठकों के लिए लिखा गया है, जो वेदों के विशाल ज्ञान को संक्षिप्त रूप में समझना चाहते हैं और उनमें छिपे सांस्कृतिक और दार्शनिक पक्षों को जानना चाहते हैं।

वेद भारतीय संस्कृति की नींव हैं और इन्हें विश्व शांति, विश्व बंधुत्व और मानव कल्याण का आधार माना गया है। यह पुस्तक वेदों के गूढ़ अर्थों, जैसे अग्नि, इंद्र, वरुण आदि देवताओं की व्यापक और रहस्यमय व्याख्या प्रस्तुत करती है, जो पाठक को गहरे विचार की ओर प्रेरित करती है। वेदों में निहित ज्ञान को लेखक ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी समझाने का प्रयास किया है, जिससे यह पुस्तक आधुनिक शोधकर्ताओं और विद्वानों के लिए भी उपयोगी है।

ग्रंथ में वेद, ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक, उपनिषद् और वेदांगों का विस्तृत विवेचन किया गया है। इसके साथ ही पुस्तक में वैदिक संस्कृति, सामाजिक संरचना, आर्थिक और राजनीतिक अवस्था का भी गहन अध्ययन प्रस्तुत है, जो वैदिक युग के जीवन और उसके आदर्शों को समझने में सहायक है।

वेदों में केवल धार्मिक और नैतिक शिक्षा ही नहीं है, बल्कि इनमें वैज्ञानिक तथ्यों का भी उल्लेख है, जिन्हें लेखक ने संकलित किया है। पुस्तक में वैदिक व्याकरण, स्वर-सम्बन्धी नियम और संहितापाठ की विधि को भी सरलता से समझाया गया है, जिससे वेदों के अध्ययन के प्रति पाठकों की रुचि और भी बढ़ जाती है।

वेदों की हजारों शाखाओं में से आज कितनी बची है यदि इस रहस्य को आप जानना चाहते हैं तो आप इस पुस्तक का अध्ययन अवश्य करें।

अतः, वैदिक साहित्य एवं संस्कृति वेदों के गूढ़ अर्थों और उनके सांस्कृतिक महत्व को समझने के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है। यह ग्रंथ वैदिक ज्ञान के प्रति जिज्ञासा रखने वाले प्रत्येक पाठक के लिए अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक है।

सुझाव

इस ग्रन्थ में लेखक का प्रयत्न रहा है कि’ गागर में सागर’ इस सूक्ति का सफल प्रयोग प्रदर्शित किया जाए। लेखक को इस कार्य में कितनी सफलता मिली है, इसका निर्णय पाठकों पर निर्भर है। आशा है यह ग्रन्थ वेदप्रेमी पाठकों की जिज्ञासाओं को पूर्ण करने में सफल होगा। इस ग्रन्थ के द्वारा लेखक की कामना है कि सामान्य जनता की भी वेदों व भारतीय संस्कृति के प्रति अभिरुचि जागृत हो ।

पुस्तक का नाम – वैदिक साहित्य एवं संस्कृति

लेखक का नाम -डॉ. कपिलदेव द्विवेदी

प्रकाशक का नाम – विश्वविध्यालिय प्रकाशन, वाराणसी

पुस्तक का विषय – वैदिक साहित्य

यह लेखक के स्वयं के विचार है| इसमें करंट संस्कृत का कोई हस्तक्षेप नहीं है। यदि आप भी किसी पुस्तक की समीक्षा लिखना चाहते हैं या फिर आपकी कोई पुस्तक है जिसकी आप समीक्षा लिखवाना चाहते हैं तो currentsanskrit@gmail.com पर मेल कर सकते हैं|

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