सभी के मन में भारत की हजारों साल पुरानी शास्त्रों की परंपरा को जानने की जिज्ञासा रहती है| लेकिन मन में प्रश्न रहता है कि उसे जाने कैसे| इस प्रश्न का उत्तर देने का काम करती है डा. उमाशंकर शर्मा की पुस्तक “संस्कृत साहित्य का इतिहास”
डा. उमाशंकर शर्मा की पुस्तक “संस्कृत साहित्य का इतिहास“ संस्कृत साहित्य की परंपरा, विकास पर अपना विस्तृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। यह ग्रंथ न केवल संस्कृत विषय को पढने व समझने वाले पाठकों के लिए अपितु संस्कृत साहित्य में रुचि रखने वाले सामान्य पाठकों के लिए भी पठनीय और उपयोगी है। पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि लेखक ने प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक के संस्कृत साहित्य के विभिन्न पहलुओं को बड़ी सरलता से प्रस्तुत किया है, अतः यह पुस्तक सामान्य पाठकों के लिए भी उपयोगी हैं।
पुस्तक में संस्कृत साहित्य को वैदिक युग, महाकाव्य युग, काव्य युग, नाटक और गद्य साहित्य, धर्मशास्त्र, स्मृतियां, पुराण, महाभारत, साहित्य आदि प्रमुख विभागों में विभक्त किया गया है। हर युग के सभी विषयों को स्पष्ट व शोधपूर्ण रूप से प्रस्तुत किया गया है। उदाहरण के लिए, वैदिक साहित्य के अन्तर्गत ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद के महत्व और उनकी शैली पर गहन शोध किया गया है।
लेखक की भाषा प्रवाहपूर्ण और सरल है, जो पाठकों को विषय के प्रति सहजता से आकर्षित करती है। लेखन शैली में गहराई है, जिससे यह पुस्तक अकादमिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। लेखक ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रयोग करते हुए विभिन्न स्रोतों का उल्लेख किया है और ऐतिहासिक प्रमाणों का समावेश किया है।
पुस्तक में लेखक ने संस्कृत जगत की महान कृतियों का न केवल वर्णन किया है अपितु उन पर आलोचनात्मक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया है। यह प्रयास सराहनीय है क्योंकि इससे पाठकों को संस्कृत साहित्य के महत्व को समझने में मदद मिलती है और साहित्य की सुंदरता को सराहने का एक नया दृष्टिकोण प्राप्त होता है।
लेखक ने पुस्तक में गहन शोध का परिचय दिया है, जिसमें उन्होंने विभिन्न स्रोतों और पुराने ग्रंथों का उल्लेख किया है। इससे यह पुस्तक संस्कृत साहित्य के इतिहास का एक विश्वसनीय और व्यापक दस्तावेज है।
संस्कृत साहित्य की महत्त वेदों से लेकर पाणिनी के अष्टाध्यायी, कालिदास के नाटकों से लेकर आधुनिक संस्कृत लेखकों के कार्यों तक, सभी पर विस्तार से चर्चा की गई है।
यह पुस्तक संस्कृत साहित्य के छात्रों, शोधकर्ताओं, अध्यापकों और संस्कृत साहित्य प्रेमियों के लिए अत्यंत उपयोगी है। यह संस्कृत साहित्य के इतिहास को समझाने के लिए एक मार्गदर्शक का काम करती है और भारतीय संस्कृति के गहरे पक्षों को भी उजागर करती है।
“संस्कृत साहित्य का इतिहास“ पुस्तक संस्कृत साहित्य के व्यापक और विविध आयामों को जानने के लिए एक अत्यंत मूल्यवान स्रोत है। इसमें न केवल प्राचीन साहित्य के महत्त्वपूर्ण पक्षों को उजागर किया गया है, अपितु आधुनिक दृष्टिकोण से भी जोड़ने का प्रयास किया गया है। यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए उपयुक्त हैं जो भारतीय संस्कृति और संस्कृत साहित्य में रुचि रखता है।
सुझाव
संस्कृत साहित्य पर शोध कर रहे छात्रों और अध्येताओं के लिए यह पुस्तक अनिवार्य रूप से पठनीय है, क्योंकि इसमें गहन ज्ञान और शोधपरक दृष्टिकोण का समावेश है।
पुस्तक का नाम – संस्कृत साहित्य का इतिहास
लेखक का नाम -डॉ. उमाशंकर शर्मा ‘ऋषि’
प्रकाशक का नाम – चौखम्भा भारती अकादमी
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पुस्तक का विषय – इतिहास (संस्कृत साहित्य)
यह लेखक के स्वयं के विचार है| इसमें करंट संस्कृत का कोई हस्तक्षेप नहीं है| याद आप भी किसी पुस्तक की समीक्षा लिखना चाहते हैं या फिर आपकी कोई पुस्तक है जिसकी आप समीक्षा लिखवाना चाहते हैं तो currentsanskrit@gmail.com पर मेल कर सकते हैं|