वसंत पंचमी का त्यौहार काफी धूम-धाम से मनाया जाता है । वसंत पंचमी का दिन माँ सरस्वती को समर्पित है| इस दिन माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है| इस साल यह पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा। आइये जानते हैं कि वसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है, इसका क्या महत्व है, इसकी पौराणिक व ऐतिहासिक कथाएँ क्या है इत्यादि।
वसंत पंचमी का त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष में माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता हैं। इस दिन को प्राचीन काल से ही ज्ञान और कला की देवी सरस्वती के जन्मदिवस के रुप में मनाया जाता हैं। वसंत पंचमी को ज्ञान की देवी सरस्वती के प्रकटोत्सव के रूप में मनाते हैं। इस दिन विद्यार्थी व कलाकार विशेषरुप से देवी सरस्वती की आराधना करते हैं। इस दिन शीत ऋतु का समापन वसंत का आगमन होता हैं | वसन्त पंचमी को श्रीपंचमी और सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता हैं।
वसंत पंचमी का महत्व
भारत में वसंत ऋतु को अन्य ऋतुओं में से सबसे श्रेष्ठ माना जाता हैं क्योंकि वसन्त ऋतु के आते ही प्रकृति में एक नई सी उमंग आने लगती हैं। वसन्त ऋतु प्रकृति को समर्पित मानी जाती है क्योंकि वसन्त ऋतु में पेड़ो पर नए पत्ते आने लगते हैं और पौधों में कलियां आने लगती हैं जो आगे जाकर सुंदर फूल बनकर आसपास के वातावरण को महकाती हैं।
पौराणिक कथा
हिन्दु साहित्य के अनुसार वसंत पंचमी को लेकर बहुत सी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. मान्यता है कि सृष्टि रचियता भगवान ब्रह्मा ने जीवों और मनुष्यों की रचना की थी. उन्होंने इस बात का ध्यान रखा कि वातावरण बिलकुल शांत हो और इसमें किसी की वाणी ना हो और ब्रह्मा जी ने सम्पूर्ण भूमंड में किसी को भी वाणी नहीं दी. परन्तु यह सब करने के बाद भी ब्रह्मा जी संतुष्ट नहीं थे. सृष्टि की रचना के बाद से ही उन्हें सृष्टि सुनसान और निर्जन नजर आने लगी.तब ब्रह्मा जी ने भगवान् विष्णु जी से अनुमति लेकर अपने मुख से एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी(चार भुजाओं वाली) सुंदर स्त्री प्रकट की. इस देवी के एक हाथ में वीणा और दुसरे हाथ में वर मुद्रा होती है बाकी अन्य हाथ में पुस्तक और माला थी. ब्रह्मा जी ने उस स्त्री से वीणा बजाने का अनुरोध किया. देवी के वीणा बजाने से संसार के सभी जीव-जंतुओ को वाणी प्राप्त हुई. इसके बाद से देवी को ‘सरस्वती’ कहा गया. सरस्वती देवी ने वाणी के साथ-साथ मुनष्य को विद्या और बुद्धि भी दी इसलिए बसंत पंचमी के दिन घर में सरस्वती मां की पूजा भी की जाती है. इस दिन देवी सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है.
ऐतिहासिक कथा
वसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद ग़ोरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, परन्तु सत्रहवीं बार मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को पराजित कर दिया, तो मोहम्मद ग़ोरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी दोनों आंखें फोड़ दीं। इसके मोहम्मद ग़ोरी ने पृथ्वीराज चौहान को मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर ग़ोरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया।
चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥
पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की। उन्होंने तवे पर हुई चोट और चंदबरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह मोहम्मद ग़ोरी के सीने में जा धंसा। इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज चौहान ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भौंककर आत्मबलिदान दे दिया। यह घटना (1192 ई )में वसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी।
वसंत पंचमी 2024 तिथि
इस वर्ष 14 फ़रवरी को वंसत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा ।
वसंत पंचमी कहाँ कहाँ मनाया जाता हैं
आमतौर पर यह पर्व पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है । भारत के भिन्न भिन्न राज्यों में यह पर्व भिन्न भिन्न तरीको से मनाया जाता हैं। पश्चिम बंगाल में बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा के लिए बड़ा सा पंडाल लगाया जाता है |बड़ी संख्या में लोग आकर माता सरस्वती की पूजा करते हैं और उन्हें पलाश के फूल, पीले चावल और बूंदी के लड्डू अर्पित करते हैं । इस दिन बंगाल में हाथेखोड़ी समारोह का आयोजन किया जाता है । हाथेखोड़ी समारोह में छोटे बच्चों को पहली बार चॉक या पेंसिल पकड़ाकर लिखना सिखाया जाता है |
वसंत पंचमी के दिन ही होलिका की मूर्ति के साथ लकड़ीयो को इकट्ठा करके एक सार्वजनिक स्थान पर रख दिया जाता है । और फिर अगले 40 दिनों के बाद, होली से एक दिन पहले, श्रद्धालु होलिका दहन करते हैं |