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आत्मप्रबन्धन

अपमान मरनें के समान है- महाभारत

BySushil Kumar

Jan 15, 2024

अवज्ञानं हि लोकेऽस्मिन् मरणादपि गर्हितम्। महाभारत वनपर्व 28/12

इस संसार में अपमान मरने से भी ज्यादा दुख देनें वाला है। व्यक्ति को कभी भी अपमान का सामना नही करना चाहिये।

अधमा धनमिच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः। अधम निम्न कोटी के लोग केवल धन चाहते हैं, मध्यम श्रेणी के लोग धन एवं सम्मान चाहते है।

उत्तमा मानमिच्छन्ति मानो हि महतां धनम्।। उत्तम श्रेणी के लोग केवल सम्मान चाहते हैं सम्मान ही उनका धन है अतः जिनका सम्मान चला जाता है वह मृत्यु के समान दुःख का अनुभव करता है।

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शास्त्र की बातें ….अज्ञानता ही मानव का सबसे बडा शत्रु।

By Sushil Kumar

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