नई दिल्ली, गंगाराम हॉस्पिटल मार्ग स्थित बाल भारती पब्लिक स्कूल में द्वि-दिवसीय अन्ताराष्ट्रीय संस्कृतोत्सव प्रदर्शनी के भव्य आयोजन का उद्घाटन 16.12.2024 को किया गया। इस प्रदर्शनी में मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली सरकार के अधीन स्वायत्त संस्था गिरिधारीलाल गोस्वामी प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ. जीतराम भट्ट जी उपस्थित रहें। वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के अन्तर्गत वेंकटेश्वर महाविद्यालय की वरिष्ठा आचार्या प्रो. पुनीता शर्मा सारस्वत अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं तथा हिन्दू महाविद्यालय के संस्कृत विभाग के सहायकाचार्य डॉ. सुनील जोशी जी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। तथा संस्कृत प्रसार प्रचार में निरत विश्व प्रसिद्ध संस्कृत भारती संस्था के दिल्ली प्रदेश के सह प्रान्त मंत्री डॉ. सुशील कुमार जी बतौर सम्मानित अतिथि मौजूद रहें।
इस प्रदर्शनी की खास बात यह है कि इसमें पारम्परिक भारतीय प्राच्यविद्या संस्कृत-वाङ्मय में निहित ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म, नाट्य, संगीत, नृत्य, योग, आयुर्वेद , वास्तु, शिल्प, चित्रकला एवं मूर्तिकला आदि समस्त ज्ञाननिधि के साथ-साथ दैनिक प्रयोग की वस्तुओं को भी संस्कृत में प्रदर्शित किया गया। प्रदर्शनी के भव्य उद्घाटन कार्यक्रम के दर्शन हेतु पूरे दिल्ली के प्राइवेट अर्थात प्रशासनेतर स्व-वित्तपोषित विद्यालयों और राजकीय विद्यालयों से एक एक अध्यापक और दो दो छात्रों को भी निमंत्रित किया गया था। ताकि वे भी ऐसे दूरदृष्टिपूर्ण आयोजनों के माध्यम से संस्कृत और भारतीय शिक्षापद्धति को प्रसारित करने में बढ़ चढ़कर अपना योगदान दें। इस प्रदर्शनी में प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को पुरातन भारतीय शिक्षा पद्धति से भी अवगत कराया गया।
कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि डॉ. जीतराम भट्ट जी ने अपने वक्तव्य में संस्कृत में निहित सर्वविध ज्ञान परंपराओं के बारे में प्रतिपादन किया और नई शिक्षा नीति के तहत विश्व विद्यालयों मे प्रत्येक विभाग में प्रत्येक विषयों में कैसे भारतीय शिक्षा व्यवस्था के बारे में तीव्रतापूर्ण कार्य हो रहा है इसका भी उल्लेख किया। उन्होंने विदेशी लोग संस्कृत के प्रति क्यों आकृष्ट हो रहे हैं और क्यों संस्कृति को पढ़ रहे हैं इस बारे में भी प्रतिपादन किया।
इस प्रदर्शनी में वेंकटेश्वर कॉलेज संस्कृत विभाग की वरिष्ठा आचार्या कार्यक्रम की सारस्वत अतिथि प्रोफेसर पुनीता शर्मा जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में संस्कृत विद्या का योगदान सर्वत्र परिलक्षित होता है। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृत में मनुष्यों के सम्पूर्ण जीवन का सर्वपक्षीय ज्ञान उपलब्ध है। जबकि अन्य भाषाओं में जीवन का एकांगी बोध ही प्रतिपादित किया जाता है। अध्यात्म, विज्ञान, साहित्य, कला, संस्कृति और संस्कार मानव जीवन को परिपूर्ण करते हैं। इन विधाओं के सम्पूर्ण विकास के लिये बाल भारती पब्लिक स्कूल के संस्कृत विभाग द्वारा निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं। आने वाली पीढ़ी संस्कृत के ज्ञान विज्ञान अध्यात्म और आदर्शों को अपने जीवन में उतार सके, उनसे परिचित हो सके, इसके लिये संस्कृत के ज्ञान विज्ञान पर आधारित ऐसी प्रदर्शनी का आयोजन अत्यंत प्रेरणाप्रद हैं। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. सुनील जोशी जी ने कहा कि छोटे छोटे बच्चों को भारतीय पुरातन मेधा शक्ति से परिचित कराने के लिए और प्रेरित करने के लिए बाल भारती पब्लिक स्कूल का यह आयोजन अत्यंत उपकारक है । जिससे आने वाली पीढ़ी संस्कृत के मूल स्वरूप को समझ कर उसके ज्ञान विज्ञान पक्ष से भी भलीभांति परिचित हो, तथा सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. सुशील कुमार ने संस्कृत को कहानी के माध्यम से छात्रों को प्रेरणा देते हुए संस्कृत को विश्वविद्या प्रतिपादित करते हुए सभी को संस्कृत पढ़ने की प्रेरणा प्रदान की। यह प्रदर्शनी 16 दिसंबर 2024 से लेकर 17 नवंबर मंगलवार तक चलेगी। यहां पर संस्कृत के आधुनिक साहित्यकार नामक प्रदर्शनी को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। बहुत से दर्शकों को यहां संस्कृत में निहित विज्ञान के बारे में पता नहीं था। संस्कृत में निहित विज्ञान और कला के बारे में उन्होंने जाना और प्रदर्शनी को खूब पसंद कर भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे हैं। सबके लिए यह संस्कृत प्रदर्शनी बहुत ही यूनिक और मन भावन लग रहा है। इस तरह अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बाल भारती पब्लिक स्कूल में संस्कृत विज्ञान की प्रदर्शनी लगी है कि यह समस्त भारतीयों और संस्कृतविद्या-प्रेमियों लिए बहुत ही गर्व की बात है।
इस प्रदर्शनी का द्वितीय सत्र आभासीय रूप से आयोजित था जिसमें विश्वमानित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वरिष्ठ संस्कृत-शोध-छात्रों ने अंतर्जाल माध्यम से छात्रों को सम्बोधित किया और उन्हें विदेश में संस्कृत की लोकप्रियता और संस्कृत के प्रति बढ़ता लोगों का क्रेज इस बारे में परिचर्चा की। तथा उन्होंने छात्रों के प्रश्नों का भी समाधान किया। वहीं बाल भारती स्कूल के ही पूर्व फ्रेंच भाषा के छात्र, वर्तमान में संस्कृत अनुरागी और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वेदान्त के शोधार्थी नीतीश राय परवाणी जी ने भी संस्कृत अध्ययन के प्रति छात्रों को अभिप्रेरित किया। इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य छात्रों और अभिभावकों का संस्कृत के प्रति उन्मुखीकरण के साथ साथ संस्कृत अध्ययन हेतु छात्रों को अभिप्रेरित करना है। इस महनीय आयोजन में प्राच्यविद्या और संस्कृत के ज्ञान वैभव और उपयोगिता का प्रदर्शन हुआ। साथ साथ देश के प्रतिष्ठित मनीषीजनों के प्रेरक, ज्ञानवर्धक उद्बोधन भी हुए।
विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री एल. वी. सहगल के सान्निध्य, दिशानिर्देश एवं संरक्षकत्व में और उपप्रधानाचार्या श्रीमती विनीता धवन तथा अध्यापक-प्रमुख श्रीमती नीता निझारा के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम आयोजित किया किया गया। इस कार्यक्रम के प्रारूप निर्धारण में विद्यालय की वरिष्ठ संस्कृत शिक्षिका श्रीमती ज्योत्स्ना श्रीवास्तव, श्रीयुत युवराज भट्टराई, श्रीयुत वीरेन्द्र शर्मा जी प्रमुख हैं। विशेष रूप से ध्यातव्य है कि संस्कृत भाषा की लोकप्रियता संवर्धन के साथ साथ विद्यालय में और देश में भाषीय सौहार्द कायम करने के लिए अपनी विद्यालय के सक्रिय प्रधानाचार्य श्रीयुत एल वी सहगल निरन्तर प्रयासरत हैं। उद्घाटन सत्र का समापन समवाप्त साहित्याकादेमी युवपुरस्कार वरिष्ठ संस्कृत शिक्षक डॉ. युवराज भट्टराई जी के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।