धर्मेण धार्यते लोकः।
धर्म ही संसार को धारण किए हुए।
धर्मनित्यास्तु ये केचिन्न ते सीदन्ति कर्हिचित्।
जो लोग धर्म का परायण करते है, वे कभी संकट को नही प्राप्त होते॥
धर्मज्ञः पण्ङितो ज्ञेयः॥
धर्मज्ञ [
धर्म जानने वाले
] को बुध्दिमअन समझना चाहिए॥
त्रयो धर्मस्कन्धाः यज्ञो अध्ययनं दानमिति॥
त्रयो धर्मस्कन्धाः यज्ञो अध्ययनं दानमिति॥
धर्म के तीन आधार है: यज्ञ, अध्ययन और दान॥